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रवि प्रदोष व्रत कथा (Ravi Pradosh Vrat Katha)

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रवि प्रदोष व्रत:

यह व्रत हर महीने आने वाली त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है रवि प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष मुहूर्त में यदि कोई व्यक्ति भगवान शिव की पूजा करता है तो उसे मनवांछित फल प्राप्त होता है।

प्रदोष काल : प्रदोष काल सूर्यास्त के 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक होता है। इसी कल में शिव-पार्वती जी की पूजा की जाती है।

वि प्रदोष व्रत,अप्रैल में

शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत

रविवार, 21 अप्रैल 2024
वि प्रदोष व्रत ,मई में 

कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत, 
रविवार, 5 मई 2024
वि प्रदोष व्रत, सितंबर में 

शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत

रविवार,15 सितंबर 2024

कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत, 

रविवार, 29 सितंबर 2024

रवि प्रदोष व्रत कथा (Ravi Pradosh Vrat Katha)

एक गांव में गरीब ब्राह्मण रहता था। उसकी स्त्री प्रदोष व्रत किया करती थी। उसे एक ही बेटा था। एक समय की बात है, वह पुत्र गंगा स्नान करने के लिए गया। दुर्भाग्यवश मार्ग में उसे चोरों ने घेर लिया और उसे डराकर उसके पिता के गुप्त धन के बारे में उससे पूछने लगे। बालक दीनभाव से कहने लगा कि बंधुओं! हम अत्यंत दु:खी दीन हैं। हमारे पास धन कहाँ हैं?तब चोरों ने कहा कि तेरी इस पोटली में क्या बंधा है? बालक ने कहा कि मेरी माँ ने मेरे लिए रोटियां दी हैं।

यह सुनकर चोरों ने अपने साथियों से कहा कि साथियों! यह बहुत ही दीन-दु:खी है अत: हम किसी और को लूटेंगे। इतना कहकर चोरों ने उस बालक को जाने दिया। बालक वहाँ से चलते हुए एक नगर में पहुंचा। नगर के पास एक बरगद का पेड़ था। वह बालक उसी बरगद के वृक्ष की छाया में सो गया। उसी समय उस नगर के सिपाही चोरों को खोजते हुए उस बरगद के वृक्ष के पास पहुंचे और बालक को चोर समझकर बंदी बना राजा के पास ले गए। राजा ने उसे कारावास में बंद करने का आदेश दिया।

ब्राह्मणी का लड़का जब घर नहीं लौटा, तब उसे अपने पुत्र की बड़ी चिंता हुई। अगले दिन प्रदोष व्रत था। ब्राह्मणी ने प्रदोष व्रत किया और भगवान शंकर से मन-ही-मन अपने पुत्र की कुशलता की प्रार्थना करने लगी।

भगवान शंकर ने उस ब्राह्मणी की प्रार्थना स्वीकार कर ली। उसी रात भगवान शंकर ने उस राजा को स्वप्न में आदेश दिया कि वह बालक चोर नहीं है, उसे प्रात:काल छोड़ दें अन्यथा तुम्हारा सारा राज्य-वैभव नष्ट हो जाएगा। प्रात:काल राजा ने शिवजी की आज्ञानुसार उस बालक को कारावास से मुक्त कर दिया। बालक ने अपनी सारी कहानी राजा को सुनाई।

राजा ने सारी कहानी सुनकर अपने सिपाहियों को उस बालक के घर भेजा और उसके माता-पिता को राजदरबार में बुलाया। उसके माता-पिता बहुत ही डरे हुए थे। राजा ने उन्हें डरा हुआ देखकर कहा कि आप डरे नहीं। आपका बालक निर्दोष है। राजा ने ब्राह्मण को 5 गांव दान में दिए जिससे कि वे सुखपूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर सकें। इस तरह ब्राह्मण आनन्द से रहने लगा। शिव जी की दया से उसकी दरिद्रता दूर हो गई।

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