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खरमास| kharmas

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खरमास क्या है?

खरमास हिन्दू पंचांग के अनुसार वह अवधि है जब सूर्य ,देवताओं के गुरु बृहस्पति की राशियों में प्रवेश करते हैं। यह समय धार्मिक दृष्टि से शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है, लेकिन दान-पुण्य, जप-तप के लिए अत्यंत फलदायी होता है।16 दिसम्बर 2025 दिन मंगलवार से खरमास आरम्भ है। 

खरमास कब लगता है?

खरमास वर्ष में दो बार आता है:

  1. पहला खरमास
    जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं
    ➜ लगभग 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक

  2. दूसरा खरमास
    जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं
    ➜ लगभग 14 मार्च से 13 अप्रैल तक

    खरमास 2025–2026 की सटीक तिथियाँ (भारत)

    पहला खरमास (सूर्य का धनु राशि में प्रवेश)

    • आरंभ: 16 दिसंबर 2025 (मंगलवार)

    • समापन: 14 जनवरी 2026 (बुधवार)

    • शुभ कार्य पुनः आरंभ: 15 जनवरी 2026 से (मकर संक्रांति के बाद)

    दूसरा खरमास (सूर्य का मीन राशि में प्रवेश)

    • आरंभ: 14 मार्च 2026 (शनिवार)

    • समापन: 13 अप्रैल 2026 (सोमवार)

    • शुभ कार्य पुनः आरंभ: 14 अप्रैल 2026 से (मेष संक्रांति के बाद)

  3. खरमास में क्या नहीं करना चाहिए?

    • विवाह, सगाई

    • गृहप्रवेश

    • मुंडन, यज्ञोपवीत

    • नया व्यवसाय या बड़े शुभ संस्कार

      खरमास में क्या करना शुभ माना जाता है?

      • भगवान विष्णुसूर्यदेव की पूजा

      • दान-पुण्य (अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़)

      • व्रत, जप, तप, कथा-श्रवण

      • साधु-संतों की सेवा

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(कुल अवलोकन 3 , 1 आज के अवलोकन)
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