You are currently viewing अर्गला स्तोत्र हिंदी में | Argala Stotram in Hindi

अर्गला स्तोत्र हिंदी में | Argala Stotram in Hindi

कृपया शेयर करें -

अर्गला स्तोत्र का पाठ श्री दुर्गा कवच के बाद और कीलक स्तोत्र के पहले किया जाता है।

मार्कण्डेय जी कहते हैं – जयन्ती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा और स्वधा – इन नामों से प्रसिद्ध देवी! तुम्हें मैं  नमस्कार करता हूँ, हे देवी! सम्पूर्ण प्राणियों की पीड़ा हरने वाली तथा सबमें व्याप्त रहने वाली देवी! तुम्हारी जय हो। कालरात्रि! तुम्हें नमस्कार है, मधु और कैटभ को मारने वाली, ब्रह्माजी को वरदान देने वाली देवी!तुम्हें नमस्कार है। तुम मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो।महिषासुर का नाश करने वाली तथा भक्तों को सुख देने वाली देवी! तुम्हें नमस्कार है। तुम मुझे सुंदर स्वरूप दो, विजय दो, और मेरे शत्रुओं को नष्ट करो। हे रक्तबीज का वध करने वाली! हे चण्ड-मुण्ड का विनाश करने वाली देवी! तुम मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो । हे शुम्भ, निशुम्भ और धूम्रलोचन का मर्दन करने वाली देवी ! मुझको स्वरूप दो ,विजय दो,यश दो और मेरे शत्रुओं का नाश करो। हे पूजित युगल चरण वालीदेवी! हे सम्पूर्ण सौभग्य प्रदान करने वाली देवी! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो। हे देवी ! तुम्हारे रूप और चरित्र अमिट हैं। तुम सब शत्रुओं का नाश करने वाली हो। मुझे रूप, जय ,यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो, पापों को दूर करनेवाली चण्डिके! इस संसार में जो भक्ति से तुम्हारा पूजन करते हैं, उनको तुम रूप तथा विजय और यश दो तथा उनके शत्रुओं का नाश करो। रोंगों का नाश करनेवाली चण्डिके! जो भक्तिपूर्वक तुम्हारी स्तुति करते हैं, उन्हें रूप दो, जय दो, यश दो और उनके काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो। हे चण्डिके ! इस संसार में जो भक्तिपूर्वक तुम्हारी पूजा करते हैं,उन्हें रूप दो, जय दो, यश दो और उनके काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो। हे देवी! मुझे सौभाग्य दो और आरोग्य दो, परम सुख दो, रूप दो, जय दो, यश दो और मेरे काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो। हे देवी ! जो मुझसे बैर रखते हैं , उनका नाश करो और मुझे अधिक बल प्रदान कर रूप, जय, यश दो और मेरे शत्रुओं का संहार करो। हे देवी ! मेरा कल्याण करो और मुझे उत्तम सम्पत्ति प्रदान करो, रूप ,जय, यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो। हे देवता तथा राक्षसों के मुकुट रत्नों से स्पर्श किये हुए चरणों वाली हे देवी !हे अम्बिके ! मुझे स्वरूप दो, विजय तथा यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो और हे देवी! अपने भक्तो को विद्वान,कीर्तिवान और लक्ष्मीवान बनाओ और उन्हे रूप दो, जय दो, यश दो और उनके काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो। हे प्रचण्ड दैत्यों के अभिमान का नाश करनेवाली चण्डिके ! मुझ शरणागत को रुप दो, जय दो, यश दो और मेरे काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो। हे चार भुजाओं वाली! हे ब्रह्मा द्वारा प्रशंसित परमेश्वरी! मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और मेरे क्रोध आदि शत्रुओं को नष्ट करो। निरन्तर भक्ति से भगवान विष्णु से सदा स्तुति की हुई हे अम्बिके! मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और मेरे   शत्रुओं को नष्ट करो। हिमाचल  कन्या पार्वती के पति महादेवजी के द्वारा प्रशंसित होनेवाली हे परमेश्वरि! मुझे रूप ,जय, यश दो और मेरे शत्रुओं का नाश करो। इन्द्राणी के पति (इंद्र) के द्वारा सदभाव से पूजित होने वाली परमेश्वरि !मुझे  तुम रूप दो,जय दो, यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो।प्रचण्ड भुजदण्ड से दैत्यों के घमंड का नष्ट! करनेवाली देवि ! मुझे रूप दो,जय दो, यश दो और मेरे शत्रुओं का नाश करो। हे देवि ! तुम अपने भक्तों को सदा असीम आनन्द प्रदान करती रहती हो। मुझे रूप, जय ,यश दो और मेरे काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो। हे देवी! मेरी इच्छानुसार चलनेवाली सुंदर  स्त्री  मुझे प्रदान करो,जोकि संसार सागर से तारने वाली तथा उत्तम कुल में उत्पन्न हुई हो, जो मनुष्य पहले इस स्तोत्र का पाठ करता है, और फिर सप्तशती रूपी महास्तोत्र का पाठ करता है, वह सप्तशती की जप संख्या के समान श्रेष्ठ फल को प्राप्त होता है और उसके साथ ही उसे प्रचुर धन भी प्राप्त होता है।

||इति श्री मार्कण्डेय पुराणे अर्गला स्तोत्रम समाप्तम || 
अगर आपको यह लेख पसंद आया, तो कृपया शेयर या कॉमेंट जरूर करें।
(कुल अवलोकन 34,287 , 32 आज के अवलोकन)
कृपया शेयर करें -