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परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा ( Parivartani Ekadashi Vrat Katha)

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यह एकादशी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है और इसे पद्मा एकादशी या वामन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। 2025 में परिवर्तिनी एकादशी 3 सितंबर को मनाई जाएगी।
परिवर्तिनी एकादशी 2025:
  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 3 सितंबर, 2025, सुबह 03:53 
  • एकादशी तिथि समाप्त: 4 सितंबर, 2025, सुबह 04:21 
  • पारण (व्रत तोड़ने का समय): 4 सितंबर, 2025, दोपहर 1:36 से शाम 4:07 तक 
परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा:

पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में राजा बलि नामक एक अत्यंत बलशाली दैत्य था, जो भगवान विष्णु का परम भक्त था। वह विविध प्रकार के वेद सूक्तों से भगवान विष्णु का पूजन किया करता था और नित्य ही ब्राह्मणों का पूजन तथा यज्ञ के आयोजन करता था, लेकिन इंद्र से द्वेष के कारण उसने इंद्रलोक तथा सभी देवताओं को जीत लिया। इस कारण सभी देवता एकत्र होकर सोच-विचार कर भगवान विष्णु के पास गए।

भगवान विष्णु, वामन (बौने) का रूप धारण करके राजा बलि के पास दान मांगने गए। राजा बलि ने वामन रूपी भगवान को तीन पग भूमि दान देने का वचन दिया। वामन रूपी भगवान ने अपना आकार बढ़ाना शुरू कर दिया और दो पग में ही पृथ्वी, आकाश और ब्रह्मांड को नाप लिया। 

तीसरा पग रखने के लिए जब कोई स्थान नहीं बचा तो राजा बलि ने अपना सिर भगवान के चरणों में रख दिया। भगवान वामन ने प्रसन्न होकर बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया और उनसे वरदान मांगने को कहा। बलि ने भगवान से कहा कि वे सदैव उनके द्वार पर निवास करें। 

भगवान विष्णु ने बलि की इच्छा स्वीकार की और कहा कि जो भी मनुष्य भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत रखेगा, उसे वाजपेय यज्ञ का फल मिलेगा और उसके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। ॥ जय श्री हरि ॥

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(कुल अवलोकन 5 , 1 आज के अवलोकन)
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