कर्पूरगौरं करुणावतारं
कर्पूरगौरं करुणावतारं,
संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे,
भवं भवानीसहितं नमामि ॥
मंत्र का अर्थ (शब्द-शब्द)
कर्पूरगौरं – कपूर (कर्पूर) के समान उज्ज्वल, अत्यंत श्वेत
करुणावतारं – करुणा (दया) के अवतार, अत्यंत दयालु
संसारसारं – संसार का सार, समस्त जगत के मूल
भुजगेन्द्रहारम् – सर्पों (विशेषकर वासुकी नाग) की माला धारण करने वाले
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे – जो भक्तों के हृदय रूपी कमल में सदैव निवास करते हैं
भवं – भगवान शिव
भवानीसहितं – माता पार्वती (भवानी) सहित
नमामि – मैं नमस्कार करता हूँ
संपूर्ण अर्थ
“मैं उन भगवान शिव को प्रणाम करता हूँ, जो कपूर के समान उज्ज्वल हैं, दया के अवतार हैं, संसार के सारस्वरूप हैं, सर्पराज को आभूषण स्वरूप धारण करते हैं, और जो माता पार्वती के साथ भक्तों के हृदय में सदैव निवास करते हैं।”
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(कुल अवलोकन 3 , 1 आज के अवलोकन)

