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Saraswati Mantra : सरस्वती मां के मंत्र, उनके प्रयोग, लाभ

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मां भगवती महामायी देवी सरस्वती वाणी की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनकी आराधना, अर्चना, पूजा तथा स्तवन से व्यक्ति सारस्वत बनता है और समाज तथा राष्ट्र का मार्ग दर्शन करता है। भगवती सरस्वती की कृपा से बुद्धि, विद्या व् ज्ञान प्राप्त कर वह मानवता की सेवा करता है। इसी प्रकार नीचे वर्णित विधियों से विद्या की अदिष्ठात्री देवी सरस्वती की उपासना कर विद्या की प्राप्ति की जा सकती है। उपासना मनोयोग पूर्वक करनी चाहिए।

  • नील सरस्वती की आराधना से विद्या लाभ में उत्पन्न होने वाले व्यवधान दूर होते हैं, छात्र ऊंचे प्रतिशत से परीक्षा पास करते हैं प्रतियोगिता परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त करते हैं। इनका मंत्र है –

ब्लूं वें वद वद त्रीं हुं फट्। 

इस मंत्र को विद्यार्थी की मां उसके कान में ग्यारह बार पढ़े तथा बालक इस मंत्र का 108 बार पढ़ाई की अवधि में जप करे।

  • वागीश्वरी सरस्वती मां की मंत्र साधना से वाणी की सिद्धि होती है। विशेषतः वाणी से व्यवसाय करने वालो के लिए या व्याख्यान देने वाले लोगो के लिए निम्नलिखित मंत्र अत्यधिक लाभदायक है। 24 अक्षर के इस मंत्र का स्फटिक की माला पर नित्य 7 माला जप किया जाता है।

ॐ नमः पद्मासने शब्दरूपे ऐं हीं क्लीं वद वद वाग्वादिनी स्वाहा।

  • चित्रेश्वरी सरस्वती मां की साधना से लोग सिद्ध हस्त चित्रकार होते हैं। स्फटिक की माला पर नीचे लिखे मंत्र का ग्यारह माला जप नित्य करना चाहिए।

ह स क ल हीं वद् वद ऐं चित्रेश्वरी स्वाहा

  • कीर्तिश्वरी भगवती सरस्वती मां के जप से पेशे में ख्याति एवं प्रसिद्धि मिलती है। साधक कीर्ति का कार्य करते है। निम्नलिखित मंत्र का 51 दिन तक प्रतिदिन 501 बार स्फटिक की माला पर जप करना चाहिए।

ऐं हीं श्रीं वद वद कीर्तिश्वरी स्वाहा

  • संगीता सरस्वती मां के मंत्र का 108 बार जप करने से साधक गैन विद्या में पारंगत होता है उसे स्वर सिद्धि मिलती है।

सा रे ग म प द नी सा तान ताम वीणा संक्रांति क्रान्त हस्तान तान।
अघटित घटित चूली तालित तालित पलासतां डनक्रान्त वाम कुचनीत वीणां वरदां संगीत त्वमातृकां वन्दे। ॐ ऐं।

  • किणि सरस्वती मां के 91 दिन तक नित्य 2100 बार जप से प्राप्ति होती है। यह काम्य प्रयोग मंत्र है। अर्थात इसके प्रयोग से कामना की पूर्ति होती है।

ऐं हैं हीं किणि किणि विच्चे।

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