श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अन्य नाम कृष्ण जन्माष्टमी, कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, कन्हैया अष्टमी, कन्हैया आठें, श्री कृष्ण जयंती, श्रीजी जयंती हैं। पांच ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति के लिए जन्माष्टमी पर पंचामृत से भगवान को स्नान और पंचामृत ग्रहण करना चाहिए। दूध ,दही ,घी, शहद, शक्कर से बना पंचामृत पूजा के बाद अमृत के समान हो जाता है। जिसे पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं।
जन्माष्टमी मुहूर्त
जन्माष्टमी को कृष्ण अष्टमी, श्रीकृष्ण जयंती, गोकुलाष्टमी जैसे नामों से जाना जाता है. अगले साल 2025 में अष्टमी तिथि 15 अगस्त रात 11 बजकर 49 मिनट से लग जाएगी, जिसका समापन 16 अगस्त रात 09 बजकर 34 मिनट पर होगा |
जन्माष्टमी तिथि 16 अगस्त (शनिवार)
पूजा का शुभ मुहूर्त: रात्रि 12 बजकर 03 मिनट से रात्रि 12 बजकर 47 मिनट तक (अवधि 43 मिनट)
जन्माष्टमी व्रत पारणा का शुभ मुहूर्त 17 अगस्त, सुबह 05 बजकर 50 मिनट के बाद
अष्टमी तिथि प्रारम्भ व समाप्त: 15 अगस्त रात्रि 11 बजकर 49 मिनट से 16 अगस्त रात्रि 09 बजकर 49 मिनट तक
रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ व समाप्त: 17 अगस्त सुबह 04 बजकर 38 मिनट से 18 अगस्त सुबह 03 बजकर 17 मिनट तक
मध्यरात्रि पूजा का समय – रात 12 बजे से 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
अवधि – 44 मिनट
पूजा की सामग्री : चौकी, लाल वस्त्र, भगवान कृष्ण के बाल रूप की मूर्ति, गंगा जल, मिट्टी का दीपक, घी, बत्ती, धूप, चंदन, रोली, अक्षत (साबुत चावल), तुलसी, पंचामृत, मक्खन, मिश्री, मिष्ठान, फल, बाल-गोपाल के लिए वस्त्र, श्रृंगार की सामग्री, इत्र, फूलमाला, फूल, और पालना।
पूजा की विधि : भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा जन्माष्टमी को रात को 12 बजे होती है पूजा करने का तरीका नीचे दिया गया है –
- भगवान कृष्ण जी की मूर्ति एक साफ बर्तन में रखकर स्नान कराए। सबसे पहले पानी से उसके बाद दूध, दही, मक्खन, घी और शहद से स्नान कराएं। अंत में पानी से एक बार और स्नान कराएं।
- स्नान कराने के बाद भगवान कृष्ण जी को किसी साफ और सूखे कपड़े से पोंछकर नए वस्त्र पहनाएं और पालने में बैठायें।
अब कृष्ण जी को चदन, धूप, अगरबत्ती और घी का दीपक दिखाएं। कृष्ण जी को भोग लगाएं और इस मन्त्र का जाप करें : त्वं देवां वस्तु गोविंद तुभ्य मेव समर्पयेति !!
- अब सामर्थ्य के अनुसार कृष्ण जी को भेंट दे तथा घी के दीपक से आरती करें। भगवान श्री कृष्ण जी की आरती के लिए यहाँ क्लिक करें।
- कृष्ण जी की पूजा के बाद चन्द्रमा के उदय होने पर दूध मिश्रित जल से चन्द्रमा को अर्घ्य देते समय इस मन्त्र का जाप करे : ज्योत्स्नापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिषाम्पते : ! नमस्ते रोहिणिकांत अर्घ्य प्रतिग्रह्मताम !
संतान सुख की कामना : संतान सुख के लिये जन्माष्टमी सबसे अच्छा दिन है। श्रद्धा और विश्वास के साथ दंम्पति इस दिन उपवास रखते हुए अर्द्धरात्रि में भगवान कृष्ण जी के बाल गोपाल स्तोत्र का पाठ संतान सुख की कामना को पूर्ण करता है।
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