महामृत्युंजय मंत्र के जाप से मनुष्य के जीवन के कई व्याधियां अपने आप दूर हो जाते हैं। भगवान शिव का बहुत प्रिय मंत्र महामृत्युंजय है। 1100 बार महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने पर भय से मुक्ति मिलती है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप सवा लाख बार करने से पुत्र और सफलता की प्राप्ति होती है। अकाल मृत्यु से बचाव होता है। यह मंत्र 108 बार पढ़ने से भी लाभ मिलता है।
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
संपुटयुक्त महा मृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ
लघु मृत्युंजय मंत्र
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।
किसी दुसरे के लिए जप करना हो तो
ॐ जूं स (उस व्यक्ति का नाम जिसके लिए अनुष्ठान हो रहा हो) पालय पालय स: जूं ॐ
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
त्र्यंबकम् – तीन नेत्रोंवाले
यजामहे – जिनका हम हृदय से सम्मान करते हैं और पूजते हैं
सुगंधिम -जो एक मीठी सुगंध के समान हैं
पुष्टिः – फलने फूलनेवाली स्थिति
वर्धनम् – जो पोषण करते हैं, बढ़ने की शक्ति देते हैं
उर्वारुकम् – ककड़ी
इव – जैसे, इस तरह
बंधनात् – बंधनों से मुक्त करनेवाले
मृत्योः = मृत्यु से
मुक्षीय = हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें
मा = न
अमृतात् = अमरता, मोक्ष
महामृत्युंजय मंत्र का सरल अनुवाद
इस मंत्र का अर्थ है कि हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो हर श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और पूरे जगत का पालन-पोषण करते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र जाप की विधि
- भगवान के समक्ष जाप से पहले धूप दीप जलाएं। जाप के दौरान दीपक जलता रहे।
- शिवजी की प्रतिमा, तस्वीर, शिवलिंग या महामृत्युंजय यंत्र को इस मंत्र का जाप करते समय आपने पास अवश्य रखें।
- मंहमृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से ही करें। जाप करते समय माला को गौमुखी में ढककर रखें।
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप कुशा के आसन पर करें।
- मंत्र का उच्चारण करते समय स्वर होठों से बाहर नहीं आना चाहिए। धीमे स्वर में आऱाम से मंत्र जाप करें।
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय अपना मुख पूर्व दिशा की ओर ही रखें।
- अगर आप शिवलिंग के पास बैठकर जाप कर रहे हैं तो जल या दूध से अभिषेक करते रहें।
- अगर आप दूसरे दिन जाप करने जा रहे है तो पहले दिन से कम जाप न करें। अधिक से अधिक कितना भी जाप किया जा सकता है।
- जिस स्थान पर प्रथम दिन जप किया हो प्रतिदिन उसी स्थान पर बैठकर जप करें।
- जाप करने के लिए एक शांत स्थान का चुनाव करें, जिससे जाप के समय मन इधर-उधर न भटके।
- जाप करते समय स्पष्ट रुप से उच्चारण का बहुत महत्व बताया गया है। इसलिए जाप करते समय उच्चारण की शुद्धता का ध्यान रखें।
जाप करते समय माला से ही जाप करें क्योंकि संख्याहीन जाप का फल प्राप्त नहीं होता है। प्रतिदिन कम से कम एक माला जाप पूरा करके ही उठे। - जाप के दौरान बीच में किसी से बात न करें। सांसारिक बातों से दूर रहें।
- जाप के समय उबासी न लें और न ही आलस्य करें। अपना पूरा ध्यान भगवान के चरणों में लगाएं। जाप करने के दिनों में पूर्णतया ब्रह्मचार्य का पालन करें।
- जितने दिन जाप करना हो उतने दिनों तक तामसिक चीजों जैसे मांस, मदिरा लहसुन, प्याज या अन्य किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थ आदि से दूर रहें।