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श्री दुर्गा माँ की पूजा – सामग्री और पाठ विधि

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श्री दुर्गा माँ की पूजा – सामग्री और पाठ विधि, दुर्गा माँ की पूजा विशेषतया नवरात्रों में की जाती है और श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है।

पूजा सामिग्री – गंगाजल (न होने पर ताजा जल), पुष्प, पुष्पमाला, धूप, दीप, रोली, अक्षत, पंचामृत (दूध, दही, घी, शक़्कर, शहद), पान, सुपारी, लौंग,  नारियल, चन्दन, कलावा, रेशमी लाल वस्त्र, आसन, चौकी आदि।

पूजा स्थल – चौकी पर श्री दुर्गा जी की मूर्ति स्थापित करें। चौकी के पूर्व कोण में दीपक की स्थापना करें। पूजन में सर्वप्रथम विधिवत गणेश जी का पूजन करके अन्य देवी- देवताओं का पूजन करें। तत्पश्चात जगदम्बा का पूजन करना चाहिए। यदि कलश स्थापना करनी हैं तो मूर्ति के दाँयी ओर कलश की स्थापना करें और कलश के ठीक सामने मिट्टी व रेत मिलाकर यव (जौ) बो दें।

पाठ विधि – श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए स्नान करके शुद्ध होकर शुद्ध वस्त्र पहनकर शुद्ध आसन पर बैठना चाहिए। ऊन का आसन सबसे अच्छा है। मन भी शुद्ध होना चाहिए और किसी के प्रति बुरी भावना नहीं होनी चाहिए। नवरात्र में नौ दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। झूठ, दूसरों की निन्दा, गाली-गलौज आदि से बचना चाहिए। दिन में सोना नहीं चाहिए। काम-क्रोध, लोभ-मोह आदि से बचना चाहिए। सप्तशती का पाठ न तो जल्दी करना चाहिए न ही बहुत धीरे-धीरे। पाठ करते समय एक ही आसन पर निश्चित होकर बैठना चाहिए। किसी कामना की पूर्ति के लिए पाठ करना हो तो इस विधि का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।

कुमारी पूजन – श्री दूर्गा जी के भक्त को देवी जी की अतिशय प्रसन्नता के लिए नवरात्रि में अष्टमी अथवा नवमी को कुमारी कन्याओं को भोजन अवश्य करना चाहिए। इन कुमारियों की संख्या नौ हो तो अत्युत्तम है, शक्ति न होने पर दो ही सही। किन्तु भोजन करने वाली कन्या 2 वर्ष से कम तथा 10 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। पूजन के बाद कुमारी देवी भोजन कर लें तो उनसे अपने सर पर अक्षत छुड़वायें और उन्हें दक्षिणा दें। इस तरह करने पर महामाया भगवती अत्यन्त प्रसन्न होकर मनोरथ पूर्ण कर देती है। कुमारी पूजन

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