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भाई दूज – Bhai Dooj

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भाई दूज

इस साल भाई दूज का पार्व 23 अक्टूबर दिन वृहस्पतिवार को मनाया जाएगा। भाई दूज के दिन से ही पांच दिवसीय दीवाली उत्सव का समापन हो जाता है। यह बहन-भाई के प्यारे रिश्ते से जुड़े रक्षाबंधन की तरह है।यह धार्मिक दिन भाई – बहन के प्रेम की घनिष्ठता को जीवंत करता है।

इस दिन को यम द्वितीया भी कहते हैं। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए भगवान से प्राथना करती है। साथ ही भाई अपनी बहन को कुछ उपहार या दक्षिणा देता है और अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं।
भैया दूज पर्व को मनाने की विधि हर जगह एक जैसी नहीं है। उत्तर भारत में, इस दिन बहनें भाई को अक्षत व तिलक लगाकर नारियल देती हैं वहीं पूर्वी भारत में बहनें शंखनाद के बाद भाई को तिलक लगाती हैं और भेंट स्वरूप कुछ उपहार देती हैं।

मान्यता है कि, इस दिन बहनें शाम के समय यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं। इस समय चील उड़ता दिखाई देना, बहुत ही शुभ माना जाता है। माना जाता है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो दुआ मांग रही हैं उसे यमराज ने स्वीकार कर लिया है या चील बहनों का संदेश यमराज को जाकर सुनाएगा।

भाई दूज का शुभ मुहूर्त

द्वितीया तिथि की शुरुआत 22 अक्टूबर 2025, को रात 08 बजकर 16 मिनट पर होगी। वहीं, द्वितीया तिथि की समाप्ति 23 अक्टूबर 2025, को रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगा। ऐसे में 23 अक्टूबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।

भाई दूज के दिन भाई को तिलक लगाने का सही बिधि

प्रात:काल स्नान कर साफ  वस्त्र धारण कर भगवान की आराधना करें।
मुहूर्त से पहले भाई के तिलक के लिए थाली सजाएं जैसे थाली में कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, फूल, मिठाई, अक्षत ,सूखा नारियल और सुपारी रखें।
आटे से चौक बना लें और शुभ मुहूर्त में भाई को इस चौक पर बिठा दें।

अपने भाई का मुख उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर करवाएं।

यह सब बिधि के बाद भाई को तिलक करें और उसके बाद भाई को फूल, सुपारी, बताशे और सूखा नारियल दे  तथा उनकी आरती करें।
तिलक और आरती के बाद भाई को मिठाई खिलाएं और अपने हाथों से बना हुआ खाना खिलाएं।
भाई दूज पर टीका करते समय, बहन को भाई के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें, फूले-फलें

भाई दूज का महत्व

भाई दूज का पर्व यमराज और उनकी बहन देवी यमुना से जुड़ा है। कथा के अनुसार, कार्तिक माह की द्वितीया तिथि पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए गए। यमुना ने उनका तिलक कर आरती उतारी और उन्हें भोजन कराया। यमुना के प्रेम से खुश होकर यमराज ने वरदान दिया कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा। इसी वजह से इस पर्व को ‘यम द्वितीया’ के नाम से भी जाना जाता है।

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