You are currently viewing देव उठनी एकादशी /प्रबोधिनी एकादशी व्रत कथा| dev uthani ekadashi vrat katha

देव उठनी एकादशी /प्रबोधिनी एकादशी व्रत कथा| dev uthani ekadashi vrat katha

कृपया शेयर करें -

देवउठनी एकादशी की तिथि और मुहूर्त

इस बार कार्तिक माह की एकादशी 11 नवंबर को शाम के 6:46 बजे से लेकर 12 नवंबर को शाम के 6:46 बजे से लेकर 12 नवंबर को शाम 04:04 बजे तक रहेगी. ऐसे में 12 नवंबर को उदय तिथि में होने के कारण देवउठनी एकादशी का व्रत इसी दिन रखा जाएगा। वहीं इसका पारण 13 नवंबर को सुबह 6:42 बजे से 8:51 बजे के बीच किया जाएगा।

देव उठनी एकादशी व्रत कथा

एक राजा था, उसके राज्य में प्रजा सुखी थी। एकादशी को कोई भी अन्न नहीं बेचता था। सभी फलाहार करते थे। एक बार भगवान ने राजा की परीक्षा लेनी चाही। भगवान ने एक सुंदरी का रूप धारण किया तथा सड़क पर बैठ गए। तभी राजा उधर से निकला और सुंदरी को देख चकित रह गया।
उसने पूछा: हे सुंदरी! तुम कौन हो और इस तरह यहाँ क्यों बैठी हो?

तब सुंदर स्त्री बने भगवान बोले: मैं निराश्रिता हूँ। नगर में मेरा कोई जाना-पहचाना नहीं है, किससे सहायता मांगू? राजा उसके रूप पर मोहित हो गया था।
राजा बोला: तुम मेरे महल में चलकर मेरी रानी बनकर रहो।

सुंदरी बोली: मैं तुम्हारी बात मानूंगी, पर तुम्हें राज्य का अधिकार मुझे सौंपना होगा। राज्य पर मेरा पूर्ण अधिकार होगा। मैं जो भी बनाऊंगी, तुम्हें खाना होगा।

राजा उसके रूप पर मोहित था, अतः उसकी सभी शर्तें स्वीकार कर लीं। अगले दिन एकादशी थी। रानी ने हुक्म दिया कि बाजारों में अन्य दिनों की तरह अन्न बेचा जाए। उसने घर में मांस-मछली आदि पकवाए तथा परोस कर राजा से खाने के लिए कहा।
यह देखकर राजा बोला: रानी! आज एकादशी है। मैं तो केवल फलाहार ही करूंगा।

तब रानी ने शर्त की याद दिलाई और बोली: या तो खाना खाओ, नहीं तो मैं बड़े राजकुमार का सिर काट दूंगी।
राजा ने अपनी स्थिति बड़ी रानी से कही तो बड़ी रानी बोली: महाराज! धर्म न छोड़ें, बड़े राजकुमार का सिर दे दें। पुत्र तो फिर मिल जाएगा, पर धर्म नहीं मिलेगा।

इसी दौरान बड़ा राजकुमार खेलकर आ गया। माँ की आंखों में आंसू देखकर वह रोने का कारण पूछने लगा तो माँ ने उसे सारी वस्तुस्थिति बता दी।
तब वह बोला: मैं सिर देने के लिए तैयार हूँ। पिताजी के धर्म की रक्षा होगी, जरूर होगी।

राजा दुःखी मन से राजकुमार का सिर देने को तैयार हुआ तो रानी के रूप से भगवान विष्णु ने प्रकट होकर असली बात बताई: राजन! तुम इस कठिन परीक्षा में पास हुए।
भगवान ने प्रसन्न मन से राजा से वर मांगने को कहा तो राजा बोला: आपका दिया सब कुछ है। हमारा उद्धार करें।

अगर आपको यह लेख पसंद आया, तो कृपया शेयर या कॉमेंट जरूर करें।
(कुल अवलोकन 21 , 1 आज के अवलोकन)
कृपया शेयर करें -