श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अन्य नाम कृष्ण जन्माष्टमी, कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, कन्हैया अष्टमी, कन्हैया आठें, श्री कृष्ण जयंती, श्रीजी जयंती हैं। पांच ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति के लिए जन्माष्टमी पर पंचामृत से भगवान को स्नान और पंचामृत ग्रहण करना चाहिए। दूध ,दही ,घी, शहद, शक्कर से बना पंचामृत पूजा के बाद अमृत के समान हो जाता है। जिसे पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं।
जन्माष्टमी मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण जन्माष्टमी तिथि 06 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट पर आरंभ हो रही है. अष्टमी तिथि का समापन 07 सितंबर 2023 को शाम 04 बजकर 14 मिनट पर होगा.
- रोहिणी नक्षत्र शुरू- 06 सितंबर 2023, सुबह 09:20
- रोहिणी नक्षत्र समाप्त – 07 सितंबर 2023, सुबह 10:25
मध्यरात्रि पूजा का समय – 12:02 – 12:48 (7 सितंबर 2023)
अवधि – 46 मिनट
व्रत पारण समय – 7 सिंतंबर 2023, सुबह 06.09 मिनट के बाद. मान्यताओं के अनुसार कई लोग कान्हा का जन्म कराने के बाद व्रत खोल लेते हैं.
पूजा की सामग्री : चौकी, लाल वस्त्र, भगवान कृष्ण के बाल रूप की मूर्ति, गंगा जल, मिट्टी का दीपक, घी, बत्ती, धूप, चंदन, रोली, अक्षत (साबुत चावल), तुलसी, पंचामृत, मक्खन, मिश्री, मिष्ठान, फल, बाल-गोपाल के लिए वस्त्र, श्रृंगार की सामग्री, इत्र, फूलमाला, फूल, और पालना।
पूजा की विधि : भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा जन्माष्टमी को रात को 12 बजे होती है पूजा करने का तरीका नीचे दिया गया है –
- भगवान कृष्ण जी की मूर्ति एक साफ बर्तन में रखकर स्नान कराए। सबसे पहले पानी से उसके बाद दूध, दही, मक्खन, घी और शहद से स्नान कराएं। अंत में पानी से एक बार और स्नान कराएं।
- स्नान कराने के बाद भगवान कृष्ण जी को किसी साफ और सूखे कपड़े से पोंछकर नए वस्त्र पहनाएं और पालने में बैठायें।
अब कृष्ण जी को चदन, धूप, अगरबत्ती और घी का दीपक दिखाएं। कृष्ण जी को भोग लगाएं और इस मन्त्र का जाप करें : त्वं देवां वस्तु गोविंद तुभ्य मेव समर्पयेति !!
- अब सामर्थ्य के अनुसार कृष्ण जी को भेंट दे तथा घी के दीपक से आरती करें। भगवान श्री कृष्ण जी की आरती के लिए यहाँ क्लिक करें।
- कृष्ण जी की पूजा के बाद चन्द्रमा के उदय होने पर दूध मिश्रित जल से चन्द्रमा को अर्घ्य देते समय इस मन्त्र का जाप करे : ज्योत्स्नापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिषाम्पते : ! नमस्ते रोहिणिकांत अर्घ्य प्रतिग्रह्मताम !
संतान सुख की कामना : संतान सुख के लिये जन्माष्टमी सबसे अच्छा दिन है। श्रद्धा और विश्वास के साथ दंम्पति इस दिन उपवास रखते हुए अर्द्धरात्रि में भगवान कृष्ण जी के बाल गोपाल स्तोत्र का पाठ संतान सुख की कामना को पूर्ण करता है।
इसे भी पढ़ें –
- आरती कुञ्ज बिहारी की
- संतान गोपाल स्तोत्र
- श्रीकृष्ण चालीसा
- आरती श्री बाल कृष्ण जी की
- श्याम चूड़ी बेचने आया