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देव दिवाली | Dev Diwali

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देव दिवाली  – देव दिवाली ,जिसे देव दीपावली भी कहा जाता है। देव दिवाली एक अत्यंत शुभ और पवित्र हिंदू पर्व है, जो विशेष रूप से वाराणसी (काशी) में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व दिवाली के ठीक 15 दिन बाद ,कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

काशी में हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर भव्य रूप से देव दीपावली का आयोजन किया जाता है। आइए जानते हैं कि इस साल देव दीपावली किस दिन मनाई जाएगी, इसका शुभ मुहूर्त क्या रहेगा और पूजा की सही विधि क्या है।

देव दिवाली 2026 की तिथि और समय

  • तिथि: बुधवार, 25 नवंबर 2026

  • पूर्णिमा तिथि आरंभ: 25 नवंबर 2026, सुबह 02:46 बजे

  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 26 नवंबर 2026, सुबह 01:29 बजे

  • मुख्य पूजन मुहूर्त: 25 नवंबर की संध्या समय (सूर्यास्त के बाद)

  • मुख्य पूजन और दीपदान का शुभ मुहूर्त

    • देव दीपावली पूजा मुहूर्त (संध्या):
      25 नवंबर 2026, शाम 5:10 बजे से रात 8:00 बजे तक

    • दीपदान का सर्वोत्तम समय:
      संध्याकाल में, सूर्यास्त से लेकर चंद्र उदय तक
      यानी लगभग 5:10 PM से 8:00 PM तक गंगा तट, घर या मंदिर में दीप जलाना अत्यंत शुभ रहेगा।

देव दिवाली का महत्व

  • मान्यता है कि इस दिन देवता स्वयं गंगा जी में उतरकर दीपदान करते हैं, इसलिए इसे देव दीपावली कहा जाता है।

  • यह पर्व भगवान शिव की काशी विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जब उन्होंने त्रिपुरासुर का वध किया था।

  • इसी कारण इस दिन को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

  • इस दिन गंगा घाटों पर लाखों दीप जलाए जाते हैं — खासकर वाराणसी के दशाश्वमेध घाट, राजा घाट, अस्सी घाट और अन्य प्रसिद्ध घाटों पर।

  • देव दिवाली पर प्रमुख अनुष्ठान

    1. दीपदान: गंगा किनारे, घर के द्वार या मंदिरों में दीपक जलाकर देवताओं का स्वागत किया जाता है।

    2. गंगा स्नान: कार्तिक पूर्णिमा की सुबह गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है।

    3. दान-पुण्य: इस दिन अन्न, वस्त्र और दीपदान का विशेष फल मिलता है।

    4. आरती और भजन: शाम को घाटों पर गंगा आरती होती है, जिसे देखने हजारों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं।

देव दीपावली मनाने की विधि
इस दिन प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। यदि गंगा स्नान न कर सकें, तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद घर के मंदिर को साफ कर भगवान शिव, विष्णु और अन्य देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करें। पूजा के बाद दीपक जलाकर मंदिर, घर की चौखट और आंगन को सजाएं।
शाम के समय प्रदोष काल में भगवान शिव की विशेष आराधना करें। उन्हें फल, फूल, दूध और धूप अर्पित करें। इसके बाद आरती कर परिवार सहित दीपदान करें। मान्यता है कि इस दिन गंगा नदी में दीप प्रवाहित करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख, समृद्धि तथा शांति आती है।

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(कुल अवलोकन 3 , 1 आज के अवलोकन)
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