मौनी अमावस्या – इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करें। ऐसा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और पूर्वज प्रसन्न होते हैं। माघ अमावस्या के दिन पितृ दोष को समाप्त करने के लिए माघ अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करें। इसके बाद विशेष चीजों का भोग लगाएं। ऐसा करने से पितृ दोष दूर होता है। मौनी अमावस्या के दिन देवी-देवता और पितृ गंगा में स्नान करने आते हैं।
वैदिक काल में ऋषि-मुनि मौन को तपस्या का एक अनिवार्य अंग मानते थे। उनका विश्वास था कि मौन रहने से मन स्थिर होता है और विचारों की उथल-पुथल शांत हो जाती है। मौन के माध्यम से आत्मा और ब्रह्मांड के बीच सीधा संवाद स्थापित होता है। इसके अलावा मौन वाणी से होने वाले पापों, झूठ और विवादों से बचने का मार्ग भी है। वेदों और उपनिषदों में मौन को ब्रह्मचर्य, सत्य और संयम के साथ जोड़कर देखा गया है।
मौनी अमावस्या 2026 तिथि
अमावस्या तिथि आरंभ -18 जनवरी 2026 रात्रि 12:03 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त – 19 जनवरी 2026 रात्रि 1:21 बजे
मौनी अमावस्या स्नान- दान का मुहूर्त
मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान के लिए ब्रह्म मुहूर्त सबसे शुभ माना जाता है। 2026 में 18 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:25 से 6:18 बजे तक रहेगा। इसके अलावा पूरे दिन स्नान और दान किया जा सकता है लेकिन सुबह का समय विशेष पूर्णकारी होता है।
मौनी अमावस्या पर पितरों के लिए दीपक जलाने का महत्व
- मौनी अमावस्या के दिन चावल का दान करना बेहद शुभ माना जाता है।
- इस दिन सफेद तिल का दान करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है।
- इस दिन आंवला का दान करने से घर की आर्थिक तंगी दूर होती है।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन तेल को दान में दे सकते हैं।
- किसी जरूरतमंद और गरीब व्यक्ति को धन भी दान में दे सकते हैं, ध्यान रहे जरूरतमंद को ही दान दें।