हिंदू पंचाग के अनुसार यह व्रत हर साल फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है, जो आमतौर पर फरवरी या मार्च में पड़ता है। इस दिन लोग शिवरात्रि का व्रत रखते है तथा शिव आराधना के द्वारा शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से आदि अनन्त महादेव का स्मरण, वंदन अभिषेक इत्यादि करते हए उनका आर्शीवाद प्राप्त करते है।
पूजन सामग्री – महाशिवरात्रि पर शिव जी की पूजा में कई चीजों का प्रयोग किया जाता है शिव जी की मूर्ति के स्नान के लिए तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, अभिषेक के लिए दूध, और भगवान को चढ़ाने बाला वस्त्र महत्वपूर्ण है। इसके अलावा चंदन, धतूरा, अकुआ का फूल, बेल पत्र, फल, मिठाई तथा पंचामृत बनाने के लिए जरूरी सामान होना चाहिए। चावल, धूप, दीप, अष्टगंध, रुई, घी, धूपबत्ती आदि समान भी आपके पास होना चाहिए। पंचामृत अर्थात पाँच चीजों का मिश्रण, जिसमें दूध, दही, शहद, घी तथा गंगाजल होता हैं। भगवान शिव जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं होता है।
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त 2026 ( Maha Shivratri Shubh Muhurat 2026)
महा शिवरात्रि तिथि प्रारम्भ- 15 फरवरी 2026 को शाम 5:04 बजे
महा शिवरात्रि तिथि समाप्त – 16 फरवरी 2026 को शाम 5:34 बजे
पूजा विधि –
महाशिवरात्रि के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान शिव का ध्यान करके व्रत का संकल्प करें। यदि मंदिर जा सकतें हैं तो भगवान शिव व पार्वती जी का पंचामृत (दूध, दही, गंगाजल, शहद, घी) से अभिषेक करें और उसके बाद जल से अभिषेक करें। फिर भगवान शिव का चंदन से तिलक करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, आक के फूल, धतूरे के फूल, धतूरा, भांग की पत्ती आदि चीजें अर्पित करें।
अब घी का दीपक या कपूर जलाकर आरती करें। आरती करने के बाद परिक्रमा करनी चाहिए। शिव की परिक्रमा सम्पूर्ण नहीं की जाती हैं ध्यान रखे कि जिधर से चढ़ा हुआ जल निकलता है उस नाली का उलंघन नहीं करना चाहिए। वहां से परिक्रमा उलटी की जाती है। पूजा के बाद शिवपुराण, महामृत्युंजय मंत्र या शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। इस दिन रात्रि जागरण करना चाहिए।
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