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देवउठनी एकादशी गीत | dev uthani ekadashi

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हिंदू धर्म में कार्तिक मास में पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व है। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु पूरे चार मास की योगनिद्रा से जाग्रत हो जाते हैं। इसके साथ जगत के पालनहार के जागते ही 4 महीनों से रुके हुए सभी तरह के मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे। कार्तिक मास की एकादशी को  देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

देवउठनी एकादशी गीत

उठो देव बैठो देव
हाथ-पाँव फटकारो देव
उँगलियाँ चटकाओ देव
सिंघाड़े का भोग लगाओ देव
गन्ने का भोग लगाओ देव
सब चीजों का भोग लगाओ देव ॥
उठो देव बैठो देव
उठो देव, बैठो देव
देव उठेंगे कातक मोस
नयी टोकरी, नयी कपास
ज़ारे मूसे गोवल जा
गोवल जाके, दाब कटा
दाब कटाके, बोण बटा
बोण बटाके, खाट बुना
खाट बुनाके, दोवन दे
दोवन देके दरी बिछा
दरी बिछाके लोट लगा
लोट लगाके मोटों हो, झोटो हो
गोरी गाय, कपला गाय
जाको दूध, महापन होए,
सहापन होएI
जितनी अम्बर, तारिइयो
इतनी या घर गावनियो
जितने जंगल सीख सलाई
इतनी या घर बहुअन आई
जितने जंगल हीसा रोड़े
जितने जंगल झाऊ झुंड
इतने याघर जन्मो पूत
ओले क़ोले, धरे चपेटा
ओले क़ोले, धरे अनार
ओले क़ोले, धरे मंजीरा
उठो देव बैठो देव

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