पुत्रदा एकादशी :
पुत्रदा एकादशी साल में दो बार होती है। एक पौष मास में और दूसरी श्रावण मास में दोनों ही पुत्रदा एकादशी संतान प्राप्ति और उनके सुख मय जीवन की कामना के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त 2025:
सावन माह एकादशी तिथि की शुरुआत 4 अगस्त को सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर होगी। वही इस तिथि का समापन 5 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 12 मिनट पर होगा ऐसे में पुत्रदा एकादशी व्रत 5 अगस्त को किया जाएग और व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर किया जाएगा।
- पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में भद्रावती नगर में राजा सुकेतुमान का शासन था। उनकी पत्नी का नाम शैव्या था। सालों बीत जाने के बावजूद संतान नहीं होने के कारण पति-पत्नी दुःखी और चिंतित रहते थे। इसी चिंता में एक दिन राजा सुकेतुमान अपने घोड़े पर सवार होकर वन की ओर चल दिए। घने वन में पहुंचने पर उन्हें प्यास लगी तो पानी की तलाश में वे एक सरोवर के पास पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि सरोवर के पास ऋषियों के आश्रम भी हैं और वहां ऋषि-मुनी वेदपाठ कर रहे हैं। पानी पीने के बाद राजा आश्रम में पहुंचे और ऋषियों को प्रणाम किया।
राजा ने ऋषियों से वहां जुटने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि वे सरोवर के निकट स्नान के लिए आए हैं। उन्होंने बताया कि आज से पांचवें दिन माघ मास का स्नान आरम्भ हो जाएगा और आज पुत्रदा एकादशी है। जो मनुष्य इस दिन व्रत करता है, उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है। इसके बाद राजा अपने राज्य पहुंचे और पुत्रदा एकादशी का व्रत शुरू किया और द्वादशी को पारण किया। व्रत के प्रभाव से कुछ समय के बाद रानी गर्भवती हो गई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया। अगर किसी को संतान प्राप्ति में बाधा होती है तो उन्हें इस व्रत को करना चाहिए। व्रत के महात्म्य को सुनने वाले को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।