पौष पुत्रदा एकादशी : पुत्रदा एकादशी को वैकुण्ठ एकादशी और मुक्कोटी एकादशी भी कहा जाता है। पौष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है।इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-उपासना की जाती है। इस व्रत को योग्य संतान की प्राप्ति के लिए उत्तम माना गया है। ये व्रत संतान को संकटों से बचाने तथा योग्य संतान की प्राप्ति वाला बताया गया है।
पौष पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त 2025:
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
- वर्ष 2025 में पौष पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।
- एकादशी तिथि प्रारम्भ – 09 जनवरी 2025 को रात्रि 12 बजकर 25 मिनट पर
- एकादशी तिथि समाप्त – 10 जनवरी 2025 को सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर
- व्रत पारण का शुभ मुहूर्त – 11 जनवरी 2025 को सुबह 07 बजकर 15 से लेकर सुबह 09 बजकर 20 मिनट तक रहेगा
- व्रत पारण की अवधि : 02 घंटे 05 मिनट
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में भद्रावती नगर में राजा सुकेतुमान का शासन था। उनकी पत्नी का नाम शैव्या था। सालों बीत जाने के बावजूद संतान नहीं होने के कारण पति-पत्नी दुःखी और चिंतित रहते थे। इसी चिंता में एक दिन राजा सुकेतुमान अपने घोड़े पर सवार होकर वन की ओर चल दिए। घने वन में पहुंचने पर उन्हें प्यास लगी तो पानी की तलाश में वे एक सरोवर के पास पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि सरोवर के पास ऋषियों के आश्रम भी हैं और वहां ऋषि-मुनी वेदपाठ कर रहे हैं। पानी पीने के बाद राजा आश्रम में पहुंचे और ऋषियों को प्रणाम किया।
राजा ने ऋषियों से वहां जुटने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि वे सरोवर के निकट स्नान के लिए आए हैं। उन्होंने बताया कि आज से पांचवें दिन माघ मास का स्नान आरम्भ हो जाएगा और आज पुत्रदा एकादशी है। जो मनुष्य इस दिन व्रत करता है, उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है। इसके बाद राजा अपने राज्य पहुंचे और पुत्रदा एकादशी का व्रत शुरू किया और द्वादशी को पारण किया। व्रत के प्रभाव से कुछ समय के बाद रानी गर्भवती हो गई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया। अगर किसी को संतान प्राप्ति में बाधा होती है तो उन्हें इस व्रत को करना चाहिए। व्रत के महात्म्य को सुनने वाले को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।