You are currently viewing विजया एकादशी व्रत कथा (Vijaya Ekadashi Katha)

विजया एकादशी व्रत कथा (Vijaya Ekadashi Katha)

कृपया शेयर करें -

विजया एकादशी व्रत कथा (Vijaya Ekadashi Katha) और विजया एकादशी शुभ मुहूर्त

इस साल 2024 में विजया एकादशी का पर्व 6 मार्च 2024 दिन बुधवार को मनाया जायेगा।

एकादशी तिथि की शुरुआत– 6 मार्च को सुबह 6 बजकर 30 मिनट से होगी।

एकादशी की तिथि की समाप्ति- 7 मार्च की सुबह 4 बजकर 13 मिनट पर होगी।

पारण का समय – 7 मार्च 2024 को दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजकर 53 मिनट के बीच रहेगा।

विजया एकादशी व्रत कथा –

विजया एकादशी का व्रत हमारे पुराने व नए पापों को नाश करने वाला है। यह व्रत समस्त मनुष्यों को विजय प्रदान कराता है। त्रेता.युग में मर्यादा पुरुषोत्तम  रामचंद्र  को जब चौदह वर्ष का वनवास हो गया, तब वे लक्ष्मण तथा माता सीता ‍सहित वह पंचवटी में निवास करने लगे। वहाँ पर लंकापति  रावण ने जब माता सीता का हरण ‍किया इस समाचार से भगवान् रामचंद्र तथा भाई लक्ष्मण अत्यंत व्याकुल हुए और माता सीता की खोज में इधर -उधर भटकने लगे ।

बहुत दुःखी होकर घूमते-घूमते जब वह अपनी आख़िरी साँसे ले रहे जटायु के पास पहुँचे तो जटायु ने उन्हें माता सीता के बारे में पूरी कहानी बताइ। फिर कुछ आगे जाकर उनकी सुग्रीव से दोस्ती हुई और बाली का वध किया। वीर हनुमान ने लंका में जाकर माता सीता का पता लगाया और उनसे श्री रामचंद्र और सुग्रीव की‍ दोस्ती के बारे में सारी बाते बताई । लंका से आकर वीर हनुमान ने भगवान राम को सारी बात बताई । फिर भगवान् राम ने वानर सेना के साथ लंका पर चढ़ाई करने का निश्चय किया।

लेकिन जब रामचंद्र समुद्र के किनारे पहुँचे तब उन्होंने उस विशाल समुद्र को गौर से देखा जिसमें बड़े -बड़े मगरमच्छ थे और वह सोचने लगे की इस विशाल समुद्र को किस प्रकार से पार करके मै अपनी सीता के पास जल्द से जल्द पहुँचू । समुद्र को देखकर राम ने लक्ष्मण से कहा कि इस समुद्र को हम किस प्रकार से पार करेंगे। लक्ष्मण ने कहा हे प्रभु! आप आदिपुरुष हैं,सब कुछ जानते हैं। यहां से कुछ दूरी पर बकदालभ्य मुनि का आश्रम है। प्रभु आप उनके पास जाकर उपाय पूछिए। लक्ष्मण जी की इस बात से सहमत होकर श्री राम, बकदालभ्य ऋषि के आश्रम गए और उन्हें प्रणाम किया। वकदालभ्य ऋषि ने पहचान लिया कि ये तो विष्णु अवतार श्री राम हैं, जो किसी कारणवश मानव शरीर में अवतरित हुए हैं। उन्होंने श्री राम से आने का कारण पूछा। आपका आना कैसे हुआ? रामचंद्र जी कहने लगे कि हे ऋषि ! मैं अपनी सेना ‍सहित यहाँ आया हूँ और राक्षसों को जीतने के लिए लंका जा रहा हूँ। कृपया आप समुद्र पार करने का कोई उपाय बताइए।

बकदालभ्य ऋषि बोले- ‘हे राम, फाल्गुन कृष्ण पक्ष में जो ‘विजया एकादशी’ आती है, उसका व्रत करने से आपकी निश्चित विजय होगी और आप अपनी सेना के साथ समुद्र भी अवश्य पार कर लेंगे।’ मुनि के कथनानुसार, रामचंद्र जी ने इस दिन विधिपूर्वक व्रत किया। व्रत को करने से श्री राम ने लंका पर विजय पायी और माता सीता को प्राप्त किया।

अगर आपको यह लेख पसंद आया, तो कृपया शेयर या कॉमेंट जरूर करें।
(कुल अवलोकन 98 , 1 आज के अवलोकन)
कृपया शेयर करें -