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भौम प्रदोष व्रत कथा (Bhaum Pradosh Vrat Katha)

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हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण और शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है साल 2024 का पहला प्रदोष व्रत भौम प्रदोष होगा।

भौम प्रदोष व्रत तिथि

जनवरी में 

कृष्ण पक्ष

9 जनवरी 2024, मंगलवार

पौष माह की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 8 जनवरी 2024 की रात को 11 बजकर 58 मिनट से होगा और इसके अगले दिन यानि 9 जनवरी को रात 10 बजकर 24 मिनट पर तिथि का समापन होगा। प्रदोष व्रत में भगवान भोलेनाथ की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है। इसलिए प्रदोष व्रत 9 जनवरी को रखा जाएगा।

शुक्ल पक्ष

23 जनवरी 2024, मंगलवार

भौम प्रदोष व्रत 22 जनवरी 2024 को शाम 07 बजकर 51 मिनट पर आरंभ होगी।

भौम प्रदोष व्रत 23 जनवरी 2024 प्रातः 08 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार प्रदोष व्रत 23 जनवरी 2024, मंगलवार को है।

प्रदोष काल : प्रदोष काल सूर्यास्त के 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक होता है। इसी कल में शिव-पार्वती जी की पूजा की जाती है।

भौम प्रदोष व्रत कथा

एक समय की बात है। एक नगर में एक वृद्धा रहती थी। उसका एक ही पुत्र था। वृद्धा की हनुमानजी पर गहरी आस्था थी। वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमानजी की आराधना करती थी। एक बार हनुमानजी ने उस वृद्धा की श्रद्धा की परीक्षा लेने का विचार किया।

हनुमानजी साधु का वेश धारण कर वृद्धा के घर गए और पुकारने लगे- है कोई हनुमान भक्त! जो हमारी इच्छा पूर्ण करे?
आवाज उस वृद्धा के कान में पड़ी, पुकार सुन वृद्धा जल्दी से बाहर आई और साधु को प्रणाम कर बोली- आज्ञा महाराज!
हनुमान वेशधारी साधु बोले- मैं भूखा हूँ, भोजन करूंगा, तुम थोड़ी जमीन लीप दो।
वृद्धा दुविधा में पड़ गई। अंतत: हाथ जोड़कर बोली- महाराज! लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं अवश्य पूर्ण करूंगी।

साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के पश्चात् कहा – तू अपने बेटे को बुला। मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा।
यह सुनकर वृद्धा घबरा गई, परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी। उसने अपने पुत्र को बुलाकर साधु को सौंप दिया।

वेशधारी साधु हनुमानजी ने वृद्धा के हाथों से ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई। आग जलाकर दु:खी मन से वृद्धा अपने घर में चली गई।

इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाकर कहा- उनका भोजन बन गया है। तुम अपने पुत्र को पुकारो ताकि वह भी आकर भोग लगा ले।
इस पर वृद्धा बोली- उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न दें।

लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो वृद्धा ने अपने पुत्र को आवाज लगाई। वह अपनी माँ के पास आ गया। अपने पुत्र को जीवित देख वृद्धा को बहुत आश्चर्य हुआ और वह साधु के चरणों में गिर पड़ी।

तब हनुमानजी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और वृद्धा को भक्ति का आशीर्वाद दिया।
बजरंगबली की जय !
हर हर महादेव !

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