You are currently viewing Apara Ekadashi 2025 | कब है अपरा एकादशी ? व्रत कथा, महत्व

Apara Ekadashi 2025 | कब है अपरा एकादशी ? व्रत कथा, महत्व

कृपया शेयर करें -

अपरा एकादशी शुक्रवार, 23 मई 2025 को पड़ रही है। अपरा एकादशी को अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी या अचला एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस एकादशी व्रत से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

एकादशी तिथि 2025 का शुभ मुहूर्त

  • एकादशी तिथि प्रारंभ : 23 मई 2025 को सुबह 01 बजकर 12 मिनट पर
  • एकादशी तिथि समाप्त : 23 मई 2025 को रात 10 बजकर 29 मिनट पर
  • एकादशी पारण समय :24 मई 2025 सुबह 05 बजकर 26 मिनट से सुबह 08 बजकर 11 मिनट पर

अपरा एकादशी की व्रत कथा 

प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक राजा राज्य करता था। वह बहुत ही धर्मात्मा था। महीध्वज का एक छोटा भाई वज्रध्वज था। परंतु वज्रध्वज बहुत ही क्रूर,अधर्मी तथा अन्यायी था। वज्रध्वज अपने बड़े भाई महीध्वज से बहुत ही द्वेष और हीन भावना रखता था।
एक दिन वज्रध्वज ने अवसर पाकर  महीध्वज की हत्या कर दी और उसका शरीर जंगल में एक पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया। अकाल मृत्यु के कारण महीध्वज राजा की आत्मा एक प्रेत बन गई और प्रेत बनकर उसी पीपल के पेड़ पर रहने लगी और उत्पात करने लगी। वह आत्मा प्रेत बनकर उस मार्ग से गुजरने वाले हर व्यक्ति को परेशान करने लगी।

एक दिन धौम्य नामक ॠषि  उधर से गुजर रहे थे , ॠषि को आभास हुआ कि कोई प्रेत उन्हें तंग करने की कोशिश कर रहा है उन्होंने अपने तपोबल से जान लिया इस पीपल पर एक प्रेत रहता है और अपने तपोबल से उसके प्रेत बनने का कारण जाना। तथा उस प्रेत के उत्पात का कारण भी जान लिया कि वह ऐसा क्यों कर रहा है।

धौम्य ऋषि ने राजा की प्रेत आत्मा को पीपल के पेड़ से नीचे उतारा और परलोक विद्या का उपदेश दिया। राजा को प्रेत योनी से मुक्ति दिलाने के लिए ऋषि ने स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा और पूरे श्रद्धा भाव से भगवान् विष्णु का माता लक्ष्मी समेत पूजन किया और द्वादशी के दिन व्रत पूरा होने पर व्रत का पुण्य प्रेत को दे दिया। एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त करके राजा प्रेतयोनी से मुक्त हो गया और स्वर्ग चला गया।  अतः तब से इस एकादशी का विशेष महत्त्व  है।

अपरा एकादशी का महत्त्व

कथाओं में  बताया गया है कि पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर अपरा एकादशी का व्रत किया था, जिससे उनकी महाभारत के युद्ध में विजय हुई थी। इस दिन भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा करने पर अपार धन सम्पति की प्राप्ति होती है। साथ ही मान्यता है कि अपरा एकादशी का व्रत करने से भक्तों के सभी दुख तथा पापों का अंत होता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से ब्रह्म हत्या, भूत योनि, दूसरे की निंदा, झूठ बोलना, झूठे शास्त्र पढ़ना आदि सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं।

इसे भी पढ़ें –

अगर आपको यह लेख पसंद आया, तो कृपया शेयर या कॉमेंट जरूर करें।
(कुल अवलोकन 592 , 1 आज के अवलोकन)
कृपया शेयर करें -